Sunday 16 October 2016

चूत के पानी का मजेदार स्वाद



मैं अपनी पहली कहानी लिख रहा हूँ। मैंने इसको हिन्दी में लिखने का प्रयास किया था लेकिन मैं लिख नहीं पाया था, मस्ताराम.नेट के सम्पादक जी ने इसे इस हिंदी रूप में प्रस्तुत किया है। प्लीज़ मेरी कहानी को पढ़ कर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए ईमेल लिखें।

यह सेक्स कहानी एक रशियन लड़की की चूत चुदाई की है।

मेरा नाम समीर है.. मैं जोधपुर राजस्थान का रहने वाला हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच है वजन लगभग 70 किलो.. अच्छी बॉडी है.. जिम जाता हूँ।
मेरे लंड का साइज़ भी औसत से अधिक लम्बा और मोटा है।

जोधपुर में मेरा खुद का कारोबार है, मैं अक्सर विदेश जाता रहता हूँ.. खास करके रशिया में.. इसीलिए मुझे वहाँ की भाषा भी अच्छे से आती है।

पापा के साथ सम्भोग करने को मजबूर-2


मैंने एक शाम को सोचा कि चलो कहीं घूमने जाता हूँ.. किला देख कर आता हूँ।
मैं अकेला ही अपनी बाइक पर घूमने निकल पड़ा।

सुहाना मौसम था.. शाम का वक्त था.. काफ़ी देर घूमने के बाद मैंने सोचा.. कि चलो बार में जाकर एक-दो पैग मारता हूँ.. फिर घर चला जाऊँगा।

मैं एक बार में घुस गया.. अन्दर जाते ही एक बियर मंगवा ली और हौले-हौले पीने लगा।
इधर-उधर देखा कि कोई माल दिख जाए..
मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे एक विदेशी बाला दिखाई दी।

वो गजब की सुंदर लग रही थी, उसने स्कर्ट और टॉप पहना रखा था और उसके बड़े-बड़े चूचे गजब ढा रहे थे।

मैं तो बस उसको देखता रह गया और मेरे लंड ने भी उसकी उफनती जवानी को सलामी दे दी।

मैं उसे देखे जा रहा था और जैसे ही उसने मेरी देखा.. तो मैंने हाथ हिला कर ‘हाय’ का इशारा किया।

वो बस मुस्करा दी.. तो मैं उठ कर उसके पास चला गया और बोला- क्या हम बात कर सकते हैं?
वह बोली- हाँ.. कर सकते हैं।

यह बातचीत इंग्लिश में हो रही थी।

मैंने अपना नाम बताया और उसका पूछा तो उसने अपना नाम मारिया बताया और बोली- मैं रशिया से हूँ और इंडिया घूमने आई हूँ।
मैंने कहा- मुझे रशियन आती है।

वो यह जान कर बहुत खुश हो गई और रशियन भाषा में बोली- मैं बहुत दिक्कत महसूस कर रही थी क्योंकि यहाँ के लोगों को रशियन नहीं आती है।

अब हम बातें करने लगे।
मेरा ध्यान तो बस बार-बार उसके चूचों पर ही जा रहा था और मेरा लंड झटके खा रहा था।

उसके होटल रूम में
थोड़ी देर तक बातें करने के और पीने के बाद वो बोली- चलो मेरे होटल चल कर खाना खाते हैं।

हम दोनों उसके होटल रूम आ गए और उसने खाने के साथ एक बॉटल वोड्का का भी ऑर्डर दे दिया।

वो बोली- आप बैठो.. मैं कपड़े चेंज करके आती हूँ। मैं वहीं सोफे पर बैठ गया। थोड़ी देर में वो कपड़े चेंज करके बाहर आई।

वाहह.. क्या माल लग रही थी वो..
उसने एक घुटनों तक की गुलाबी शॉर्ट नाईटी पहन रखी थी.. जिसमें वो एकदम गुलाबी गुड़िया जैसी लग रही थी।

उसके सुनहरे बाल.. नीली आँखें.. गोरी-गोरी चिकनी टाँगें.. जिन पर एक भी बाल नहीं था।
उसके बड़े-बड़े चूचे तो वास्तव में बहुत मस्त लग रहे थे और उसने नीचे ब्रा भी नहीं पहनी थी, यह उसके थिरकते मम्मों को देख कर साफ़ पता लग रहा था। मैं तो उसको ऐसे देख कर पागल हो गया और मेरे लंड अपने आप गीला हो गया।

तभी दरवाजे की घन्टी बजी और होटल वाला वेटर खाना और वोड्का लेकर आ गया।
हम दोनों ने खाना खाया और वोड्का पीने लग गए.. पीते-पीते वो मेरे सामने बैठी थी.. तो उसकी मस्त मोटी मोटी गोरी-गोरी जांघें मुझे दिख रही थीं।

ट्रेन में पापा के साथ मेरी चुदाई की कहानी


उसकी नंगी जाँघों को देख कर मेरी पैन्ट में उभार बन गया था.. जिस वो बड़ी मस्त निगाहों से देखे जा रही थी और मुस्करा रही थी।

मैं बोला- आप बहुत सुंदर हो।
वो बोली- थैंक्स..
मैंने कहा- तुम एकदम गुड़िया लग रही हो..

तो वो शर्मा गई।

अब हम दोनों पर वोड्का का थोड़ा-थोड़ा नशा हावी हो रहा था।

तभी वो बोली- मैं आज घूमते-घूमते बहुत थक गई हूँ.. मेरे पैर और कमर दर्द कर रहे हैं।
मैंने कहा- आओ.. मैं मालिश कर देता हूँ तुम्हें अच्छा लगेगा।

वो तुरंत मान गई।

हम दोनों उठ कर बिस्तर पर आ गए और वो मेरे सामने औंधी लेट गई।

अब उसकी मस्त मोटी गांड मेरी आँखों के सामने उठी हुई थी.. उसका 36-28-34 का फिगर मस्त दिख रहा था। उसकी गांड बहुत मस्त लग रही थी।

मैं तो अब होश खो रहा था.. तो उसके पास बैठ गया और उसकी टांगों पर हौले-हौले मसाज करने लगा।
उसकी चिकनी टांगों पर हाथ लगाते ही मेरा लंड क्रान्ति करने लगा।

मैं धीरे-धीरे टांगों पर मसाज करता-करता थोड़ा ऊपर आने लगा और उसकी जाँघों तक मेरे हाथ पहुँच गए।
उसकी गोरी-गोरी मख़मली जांघें देख कर तो किसी बुड्डे का लंड भी पानी छोड़ दे।

मैं उसकी जांघें सहला रहा था और वो हल्की-हल्की मादक आवाजें निकाल रही थी।
मैं समझ गया कि उसको मजा आ रहा है।

मैं हौले-हौले हाथों को थोड़ा और बढ़ाता गया और उसकी नाईटी के अन्दर से उसकी जाँघों के जोड़ तक मसाज करने लगा।

वो थोड़ा हिली.. लेकिन उसने मना नहीं किया.. तो मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई।

अब मैंने थोड़ा हाथों को और ऊपर बढ़ाया.. तो मुझे उसकी पैन्टी महसूस हुई।
पैन्टी पर हाथ लगते मेरा लंड फिर झटके देने लग गया और मैं पैन्टी के ऊपर से उसकी गांड की मालिश करने लगा।

उसकी गांड एकदम कोमल और मखमली सी लग रही थी.. लेकिन मुझे अभी तक उसकी गांड के दीदार नहीं हुए थे।
मैं तो देखने को तड़प रहा था.. तभी वो बोली- अब पीठ पर मालिश करो।

नंगी रशियन लड़की
मैं बोला- फिर तो नाईटी उतारनी पड़ेगी।
कुछ सोचने के बाद उसने मेरे सामने नाईटी उतार दी और फिर उल्टा लेट गई।

अब तो मेरे सामने वो नीली पैन्टी में लेटी थी, ऊपर से लेकर नीचे तक एकदम गोरी चमड़ी.. और छोटी सी पैन्टी में कैद उसकी मोटी गांड..
मेरा तो लंड ये सब देख कर पैन्ट से बाहर आने को तड़प रहा था।

मैंने अपनी पैन्ट उतारी और अंडरवियर में उसकी गांड पर बैठ गया और पीठ में मालिश करने लगा।

उसकी कोई प्रतिक्रिया न होते देख कर मेरा लंड उत्तेजना से तन गया था और उसकी गांड की दरार में बार-बार घुसने की कोशिश कर रहा था।

मैं जैसे ही उसकी पीठ पर मसाज करने के लिए झुकता.. मेरा लंड वैसे ही उसकी गांड की दरार में घुस जाता.. और उसकी हल्के से ‘आ.. उहह.. की आवाज़ निकल आती।

मैं उसकी पीठ पर मसाज करते-करते साइड में से उसके चूचे पर भी हाथ फेर देता.. तो मुझे एकदम कोमल और मुलायम मक्खन के गोले का सा अहसास हो जाता।
मुझे लगा कि मेरा तो पानी यहीं निकल जाएगा। फिर धीरे-धीरे कमर पर मसाज करते हुए मैं उसकी गांड सहलाने लगा और गांड पर मसाज करने लगा। वो अब मज़े ले रही थी.. लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी।

मैं हिम्मत करके और आगे बढ़ा और मैं धीरे-धीरे पैन्टी के ऊपर से उसकी गांड के छेद और चूत के छेद के आस-पास हाथ फिराने लगा।

मैंने देखा कि उसकी पैन्टी एकदम गीली हो गई थी.. मतलब उसको भी चुदास के मज़े आ रहे थे।

अब मैं उसकी गांड और चूत देखना चाहता था.. तो मैंने एक हाथ से पैन्टी को थोड़ा सा साइड में किया और मुझे जन्नत का दरवाजा दिख गया.. एकदम गुलाबी छेद..
मेरा मन किया कि अभी अपनी ज़ुबान घुसेड़ दूँ.. और चूस लूँ..

चाचा की मर्जी से चाची को प्रेग्नेंट किया


लेकिन मैं उसको थोड़ा तड़पाना चाहता था।
मैंने उससे कहा- सीधी हो जाओ.. मैं आगे की मसाज भी कर देता हूँ.. तो वो आँखें बंद किए एकदम चुपचाप सीधी होकर लेट गई।

अब मेरे सामने एकदम दो पहाड़ जैसे मोटे-मोटे गोरे-गोरे चूचे आ गए और उनके ऊपर तने हुए एकदम गुलाबी निप्पल थे।
मैं तो देख एक बार पागल सा हो गया और लंड तो पहले से उतावला हो रहा था।

मैं धीरे-धीरे उसके मम्मों पर हाथ घुमाने लगा और हल्के से दबाया तो उसके मुँह से एक मादक आह निकल गई और वो ‘आ.. आ.. एम्म उउहह..’ करने लगी।

मैंने सीधा अपना मुँह उसके चूचों पर रख लिया और ज़ुबान से उनको चाटने लगा.. तो उसने एकदम से अंडरवियर के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ दिया और सहलाने लगी।

वो भी गर्म हो रही थी.. मैं उसके निप्पल को चूस रहा था.. एक हाथ से दूसरा चूचा भी दबा रहा था।

कुछ ही देर बाद उसने मेरा मुँह उठाया और मुझे लिप किस करने लग गई।

क्या होंठ थे साली के.. एकदम नर्म और मुलायम जैसे कोई फूल हों।
मैं तो कुत्ते के जैसे उसके होंठों को चूस रहा था।

इसके बाद मैंने उसके होंठ छोड़े और उसकी गर्दन में किस करते-करते नीचे को आने लगा.. फिर कंधे पर.. और नीचे पेट में किस करते हुए मैं उसकी पैन्टी के ऊपर से उसकी चूत पर किस करने लगा।

वो मेरे बालों में हाथ फिराने लगी।

मुझे उसकी चूत की खुशबू पागल कर रही थी और वो लगातार ‘आ.. हुउ.. अहह..’ किए जा रही थी।
मैंने अपनी ज़ुबान को उसकी पैन्टी पर फिराना चालू कर दिया, वो बार-बार अपनी गांड उठा रही थी और मेरा सर अपनी चूत पर दबा रही थी।

अंततः जब मैंने उसकी पैन्टी को निकाला.. तो एक गुलाबी सी पाव रोटी के जैसी मखमली बिना झांटों वाली चूत मेरे सामने आ गई और उसको देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया।
मैंने तुरंत अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत की पंखुड़ियों को किस करने लगा।

उसकी चूत का पानी मेरे होंठों पर लग रहा था और मुझे उसकी चूत के पानी का मजेदार स्वाद आ रहा था।

अब वो उत्तेजना के चलते मेरे बाल पकड़ कर खींच रही थी।
मैं उसकी चूत चाटने लग गया.. उसके दाने को अपने दाँतों में हल्के से पकड़ कर काटने लगा।

वो लगातार ‘ऊवू.. इस्स.. उम्म.. आआह…’ की आवाज़ कर रही थी।
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे हैं!

मैंने उसकी टांगों को चौड़ा किया और बड़े आराम से.. मज़े से उसकी चूत को चाटने लगा, मैं अपनी ज़ुबान से चूत को चोदने लगा। कुछ मिनट तक चूत चाटने से वो मेरे मुँह में 2 बार झड़ चुकी थी।
फिर उसने मुझे हटाया और बोली- लेट जाओ..

जुही आंटी की चूत जूठी कर डाली


मैं लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गई और वो मेरी छाती पर चुम्बन करते हुए नीचे जाने लगी और अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड को किस करने लगी।

मैं आँखें बंद किए हुए लंड की सनसनी का मजा ले रहा था। उसने मुझे नंगा किया और मेरा फनफनाता हुआ लम्बा लौड़ा सामने आ गया।

वो अंग्रेजी में बोली- वाऊ.. नाइस डिक..
वो तुरंत ही मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर कुल्फी के जैसे चूसने में लग गई।

मैं उत्तेज़ना के कारण उसके मुँह में झड़ गया और वो मेरा सारा माल पी गई।

फिर हम 69 में आ गए और 5 मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।

अब मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया, मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा आधा लंड चूत में घुस गया।

वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी- एयाया ऊऊओ.. गॉड..

मैंने एक और धक्का मारा.. और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में गॅप्प से समा गया।

कुछ ही पलों में वो नीचे से अपनी गांड उठाकर ‘आह.. उउउहह…’ करने लगी।

मैंने दनादन धक्के लगाना चालू कर दिए।
मजेदार चुदाई के बाद मैंने उसको कुतिया बना उल्टा किया और पीछे से एक बार में पूरा लंड उसकी चूत में ठोक दिया।

वो एकदम से उछल पड़ी और चिल्लाने लगी- ऊओह या.. उह… उह… आअहह..
मैं उसको ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था।

कुछ देर बाद मेरा निकलने वाला था तो मैंने उसको नीचे बिठाया और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया।
मैंने उसके बाल पकड़ कर उसके मुँह को चोदने लगा और उसके मुँह में ही झड़ गया।
वो सारा माल पी गई।

सामूहिक चुदाई का अजब गजब रंगमंच


इस तरह हमने उस रात पूरी रात चुदाई की।

दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी.. प्लीज़ मुझे अपने विचार ईमेल करना।
मुझे इंतजार रहेगा।
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बस एक बार चुदवा लो प्लीज



अपने बेटे को इसी साल एक नर्सरी स्कूल में दाखिला कराया है परन्तु दिक्कत यह है कि स्कूल हमारे घर से लगभग 35 कि.मी. दूर है।
स्कूल अच्छा है इसलिए अधिक फीस होने के बावजूद इसी स्कूल में दाखिला कराया।

स्कूल की टाइमिंग सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे है। हम सुबह नौ बजे से पहले तैयार होकर एक साथ घर से निकलते हैं, मैं अपने आफिस चला जाता हूँ, मेरी पत्नी बच्चे को लेकर स्कूल चली जाती है तथा दोपहर तीन बजे स्कूल की छुट्टी होने पर बच्चे को लेकर सीधे घर आ जाती है।

हर शनिवार तथा सप्ताह में एक-दो दिन मेरी छुट्टी होने पर अथवा छुट्टी लेकर मैं बच्चे को लेकर स्कूल जाता हूँ। घर दूर होने के कारण बार-बार आना-जाना नहीं हो पाता.. इसलिए हम स्कूल के सामने बगीचे के लान में टाईम पास कर लेते हैं। ऐसा अनेक बच्चों के माता-पिता.. जिनका घर दूर है, करते हैं। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप  मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे हैं!

मिसेज भाटिया की बच्ची भी उसी स्कूल में हमारे बच्चे की क्लासमेट है। उनका घर दूर होने के कारण वह भी हमारी तरह सुबह नौ बजे आती हैं और छुट्टी होने पर दोपहर तीन बजे अपने बच्चे को लेकर घर जाती हैं।

इस बीच मेरी पत्नी और मिसेज भाटिया स्कूल के सामने लान में बैठकर अपना समय व्यतीत करते हैं।

जिस दिन मेरी पत्नी की जगह मैं स्कूल जाता हूँ, उस दिन मिसेज भाटिया काफी उदास हो जाती हैं.. क्योंकि अकेले-अकेले उनका भी समय पास नहीं होता।

दूसरी महिलाएँ भी वहाँ होती हैं.. पर न जाने क्यों वो मेरी पत्नी के अलावा और किसी से ज्यादा मिक्सअप नहीं होती हैं।

मेरी रंडी माँ मेरी रोज चुदाई करवाती


मिस्टर भाटिया का अपना लोहे का बहुत बड़ा कारोबार है, वो सुबह 7 बजे फैक्टरी के लिए निकाल जाते हैं तथा देर रात लौटते हैं। इसलिए मिसेज भाटिया को ही प्रतिदिन अपने बच्चे को लाने.. ले जाने के लिए आना पड़ता है।

मिसेज भाटिया की उम्र लगभग 26-27 साल होगी, वह बेहद गोरी, कद करीब 5’3” लंबे घने घुंघराले बाल और दिखने में बेहद खूबसूरत व कमसिन है। वह महंगे सलवार-सूट में ही आती थी। एक अभिजात्य वर्ग की चमक उसके चेहरे पर साफ झलकती है।

कभी-कभी वो अपने बालों का जूड़ा बनाकर आती थी.. तो और भी अधिक खूबसूरत दिखती थी।

मैं 35 वर्षीय सांवला, कद 5’5” वजन 65 कि.ग्रा. एक साधारण कद काठी का मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ।

स्वभाव से शर्मिला एवं संकोची होने के कारण सहसा किसी से मिलने-जुलने में कतराता हूँ।

जिस दिन मैं स्कूल जाता हूँ तो सामान्यतः एकाध पत्रिका अपने साथ जरूर रखता हूँ और बच्चे को स्कूल में छोड़कर बगीचे के लान में किसी एकान्त जगह पर पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ता रहता हूँ।

बीच-बीच में पुरूषजन्य निर्बलता के वशीभूत तिरछी निगाहों से मिसेज भाटिया की ओर जरूर देख लेता हूँ।

यदि कभी हमारी नजरें मिल जातीं.. तो मत पूछिए मारे शर्म के मेरी हालत पतली हो जाती है। पता नहीं क्या सोच रही होगी वो मेरे बारे में?

इसी तरह दिन बीतने लगे। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप  मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे हैं!

एक माह.. दो माह.. तीन माह.. इस बीच मिसेज भाटिया से मेरी थोड़ी बहुत बात होने लगी थी। वो ऊपर से जितनी गंभीर नजर आती थी.. उतनी थी नहीं।
शुरूआत उसी ने की थी। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप  मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे हैं!

एक दिन शनिवार को वो चिकन वर्क वाला गुलाबी कुर्ता और प्रिंटेड सलवार में आई थी। उसने कुर्ते के साथ मैच करती हुई गुलाबी कांच की चूड़ियाँ भी पहन रखी थीं।
उस दिन वो बेहद खूबसूरत दिखाई दे रही थी।  यह महज संयोग था या कुछ और कि उस दिन हमारी निगाहें चार-पांच बार मिलीं।
दरअसल मैं यह देख रहा था कि वो मेरी ओर देख रही है या नहीं।

सम्भवतः उसने भी यही सोचा था। उस दिन वो खुद मेरे पास आई और मेरा अभिवादन करके मुझसे बोली- भाई साहब क्या पढ़ रहे हैं?

मैं हकला गया, बोला- इ..इंडिया टुडे..

यह कहकर मैंने पत्रिका को उसकी ओर बढ़ा दिया। उसने मेरे हाथ से पत्रिका लेकर खड़े-खड़े ही दो-चार पन्ने पलटे और पत्रिका को मुझे वापस कर दिया।

मेरे मुँह से अनायास निकल गया- बैठिये ना.. यह हिन्दी सेक्स कहानी आप  मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे हैं!

उसने मुस्कुराकर अर्थपूर्ण नजरों से मेरी और देखा और बहुत ही मधुर और कोमल स्वर में विनम्रता पूर्वक कहा- आज नहीं… फिर कभी।

यह मेरा उससे पहला वार्तालाप था। उस दिन मैं रात भर नहीं सो सका था। अगले शनिवार को फिर उससे मुलाकात हुई। हम लोग काफी देर साथ बैठे और गपशप करते रहे।

फिर तो यह हमेशा का जैसे रूटीन हो गया, हम हर शनिवार को साथ रहते और आपस में घर परिवार और इधर-उधर की बातें किया करते।

अब हम काफी खुल चुके थे।
उसने मुझे बताया कि उनके पति अपने परिवार के भौतिक सुख साधनों का तो बहुत ख्याल रखते थे.. परन्तु अपनी पत्नी की शारीरिक प्यास को मिटाने में विशेष रूचि नहीं लेते हैं। जिसका कारण संभवतः उनका अपने व्यवसाय में अत्यधिक शारीरिक व मानसिक परिश्रम और प्रतिदिन देर रात को बहुत अधिक शराब पीकर घर लौटना था।

मिसेज भाटिया के पहल करने पर ही कभी-कभी उनमें संभोग संभव हो पाता था.. वह भी औपचारिकता जैसा।

मिसेज भाटिया ने बताया कि उन्हें कभी भी सेक्स की चरम सीमा का अनुभव नहीं हो पाया।
संभवतः मेरी पत्नी ने मिसेज भाटिया के साथ हमारे सेक्स संबंधों की चर्चा की होगी और बताया होगा कि सेक्स के मामले में मैं अपनी पत्नी को कैसे नेस्तनाबूत कर देता हूँ और कैसे हम रात भर विभिन्न आसनों में सेक्स का आनन्द उठाते हैं।

क्योंकि इधर कुछ दिनों से मैं महसूस कर रहा था कि मिसेज भाटिया मुझसे खुलकर बात करने लगी थी और जैसे हर शनिवार को वो मेरी प्रतीक्षा किया करती थी। कभी बात-बात में किसी बहाने से वो मेरा स्पर्श भी कर लेती थी।

इधर उसके लिबास में भी कुछ परिवर्तन मैं महसूस करने लगा था। अब पहले की तुलना में उसका सलवार-कमीज कुछ अधिक टाइट नजर आने लगा था जिससे उसके सीने के उभार के साथ-साथ पेट और कूल्हे स्पष्ट दिखने लगे थे।
उसके कुर्ते के भीतर से ब्रा साफ नजर आती थी। यह सब देखकर मेरा मन भी डोलने लगता था।

इसी तरह तीन माह और बीत गए। माह दिसम्बर की एक शनिवार.. ठंड काफी पड़ने लगी थी। हल्का-हल्का कोहरा छंटने लगा था। मैं स्कूल पहुँचा, देखा मिसेज भाटिया आसमानी सलवार कुर्ते में मेहरून शाल ओढ़कर मानो मेरा ही इंतजार कर रही है।

उसने अपने घने काले घुंघराले बालों को जूड़े की शक्ल में बाँध रखा था और इतनी गजब की खूबसूरत लग रही थी कि लफ्जों में बयान करना मुमकिन नहीं था।

वह मुझे एक ओर ले गई और कहा- आज आपको मेरी एक बात माननी होगी।
उसकी आंखों में शरारत साफ झलक रही थी। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप  मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे हैं!

‘मतलब?’ मैंने पूछा।
उसने कहा- आज कुछ पल मैं आपके साथ जीना चाहती हूँ।

एक आनन्द मिश्रित आश्चर्य से मैंने उसकी ओर देखा और पूछा- मगर कैसे? कहाँ?
‘इसकी चिन्ता आप न करें, मैंने पास के लाज में एक कमरा बुक कर लिया है..’ उसने कहा। मैंने प्रश्नवाचक दृष्टि से उसकी ओर देखकर कहा- तो?
‘तो क्या.. चलिए.. अभी साढ़े नौ बजे हैं। अपने पास ढाई बजे तक का समय है… सोच क्या रहे हैं.. चलिए जल्दी..’

यह कहकर वो लगभग खींचते हुए मुझे अपनी कार के पास ले गई और दरवाजा खोलकर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गई।
पांच मिनट में हम एक आलीशान होटल के सामने खड़े थे।

वह एक थ्री-स्टार होटल था। काउन्टर से उसने रूम की चाबी ली और हम तीसरे मंजिल पर एक आलीशान डीलक्स डबल बेडरूम में थे। उसने बैरे से कुछ कहा।
थोड़ी देर में वो शैम्पेन की एक बोतल, दो गिलास और कुछ स्नैक्स रख गया।

उसने अपना शाल एक ओर फेंककर शैम्पेन के दो गिलास बनाए और एक मेरी ओर बढ़ा दिया।
मेरे मना करने पर उसने कहा- आज पी लीजिए.. मेरी खातिर..

मैंने डरते-डरते गिलास उसके हाथ से ले लिया और एक ही सांस में पूरा गिलास खाली कर दिया।

इसके बाद कुछ पैग और चले और कुछ ही पलों में शराब ने अपना काम करना शुरू कर दिया था और मैंने भी।

मैंने मिसेज भाटिया को अपने सीने में भींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो कसमसाई और फिर वो मुझ पर चुम्बनों की बौछार सी करने लगी।

मैंने उसके कुर्ते के हुक को खेालकर ऊपर उठा दिया और उसके संगमरमरी शफ्फाक बदन को देखता ही रह गया।
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मैं उसे बिस्तर पर लिटाकर अपनी उंगलियों और होंठों से उसके पूरे बदन को चूमने लगा।
वो खुशी और आनन्द से छटपटाने लगी।

लेस्बियन लडकियों की चुदाई का नजारा


फिर उसने खुद ही अपने ब्रा का हुक खोलकर अपने बदन से अलग कर दिया। मैंने उसके दोनों सुडौल उरोजों से खेलना शुरू कर दिया।
मैंने उसके दोनों उरोजों के चारों ओर अपनी दोनों हथेलियों को नीचे से ऊपर तक.. दाहिने से बाएँ तक आहिस्ता-आहिस्ता फेरना शुरू किया और अंत में निप्पल तक पहुँच कर अपनी पाँचों उंगलियों के अग्रभाग से धीरे-धीरे सहलाकर फिर नीचे से ऊपर फेरता रहा।

इसी के साथ उसके दोनों रसभरे होंठों को अपने मुँह में लेकर जीभ को उसके जीभ को सहलाता रहा।

मैंने उसके होंठों को मुँह के भीतर लेकर उसे चूसना शुरू कर दिया और बीच-बीच में अपने दांतों से धीरे-धीरे उसके होंठों को काटने लगा।
वो आनन्द मिश्रित दर्द से कराहने लगी। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप  मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे हैं!

अचानक वो उठी और मेरी शर्ट का बटन खोलकर मेरे सीने में हाथ फेरने लगी।

मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके नग्न सीने को अपने सीने से दबाने लगा। अब उसके निप्पल पर मैंने अपने निप्पल को रखकर अपने सीने से उसके सीने को सहलाना शुरू किया।

उसे बहुत अच्छा लग रहा था.. मुझे भी। मैंने धीरे से उसकी सलवार का बंधन खोलकर उसे पूर्णतः नग्न कर दिया।

अब मिसेज भाटिया का पूर्णतः नग्न जिस्म मेरे सामने था। मैंने अपनी भी पैंट तथा चड्डी उतार दी और बिल्कुल नग्न उसके सामने खड़ा हो गया।

मेरा लिंग बिल्कुल तैयार था और मिसेज भाटिया की योनि में समाने के लिए बेकरार।

मेरा लिंग देखकर मिसेज भाटिया आश्चर्यचकित हो गई.. बोली- बाप रे इतना बड़ा? आपको देखकर नहीं लगता कि आपका इतना बड़ा होगा।

मैंने उसके गाल पर प्यार से एक चपत लगाकर उसे पलंग पर बैठने का इशारा किया।

वो बैठ गई तो मैंने उसे पलंग के सिरहाने टिक कर बैठने के लिए कहा।
अब मैंने अपने बांहों को मिसेजभाटिया की गोरी गुंदाज जंघाओं के नीचे से ले जाकर उसके पैरों को अपनी पीठ पर रख दिया और अपने कानों तथा गालों को उसके जंघाओं से स्पर्श कराते हुए अपने मुँह को उसके योनिद्वार पर रख दिया। उसके दोनों हाथ पलंग के सिरहाने के दोनों ओर थे। मेरे हाथों के दोनों पंजे उसके दोनों उत्तेजीत स्तनों का मर्दन कर रहे थे और मैं अपने होंठ, जीभ, दांत से उसकी योनि और भगनासा को उद्वेलित कर रहा था।

वो छटपटा रही थी, कराह रही थी, उसकी आनन्द मिश्रित उत्तेजना पूर्ण कराहने की ध्वनि मुझे और अधिक उत्तेजित कर रही थी।

‘आआओं ना… अब आ जाओ.. अब रहा नहीं जा रहा.. आआह.. ऊँउउह..’

अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मैंने घुटने के बल बैठकर उसके उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रखा और उसकी गोरी गुंदाज जंघाओं को खींच कर भूखे भेड़िये की तरह पूर्णतया उत्तेजित अपने लिंग को उसकी चूत के द्वार पर रखा और एक जोरदार शॉट मारा।

‘आआहह..’ वो चीखी और मेरा लम्बा मोटा लिंग पूरा का पूरा उसकी योनि में समा गया।

उसके बाद मैं पोजिशन बदल-बदल कर शॉट पर शॉट मारता चला गया, वो भी अपने नितम्बों को उठा उठा कर मेरे संभोग का पूरा आनन्द उठा रही थी।

काफी देर तक मैं अपने लिंग के घर्षण से उसकी योनि और संपूर्ण जननेन्द्रियों को तृप्त करता रहा, मेरी रफ्तार तेज हो गई थी और मैं चरमोत्कर्ष आनन्द के साथ अपने अन्दर के पुरूषत्व को लिंगद्वार से उसके योनि के भीतर.. बहुत भीतर तक स्लखित कर दिया और निढाल होकर उसके ऊपर गिर गया। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप  मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे हैं!
वो भी मुझसे लिपट कर बहुत देर तक निढाल पड़ी रही।

Mere bhaiya bane saiya


अचानक हमें स्कूल का ध्यान आया, ढाई बज चुके थे, हम जल्दी-जल्दी तैयार हुए, एक-दूसरे को प्यार भरी नजरों से देखा.. आलिंगनबद्ध हुए और उसके होंठों पर होंठ रखकर एक भरपूर चुम्बन लिया।

उसने मेरी ओर देखा और न जाने क्यों शरमाकर नजरें झुका लीं।
हम होटल से निकले। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप  मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे हैं!

स्कूल पहुँच कर देखा अभी-अभी छुट्टी हुई है.. बच्चे निकल ही रहे हैं।

मैंने अपने अपने बच्चे गोद में उठाकर उसे अपने बांहों में भर लिया।
मैंने देखा मिसेज भाटिया ने भी अपने बच्ची को गोद में उठाकर अपने अंक में भर लिया है।
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मेरी बहन मुझसे चुदना चाहती है



हैलो फ्रेंड्स, मस्ताराम.नेट पर यह मेरी पहली सेक्स कहानी है। यह मेरे जीवन की एक सच्ची घटना है, मुझे उम्मीद है कि आप सभी इसको पसंद करेंगे।

मैं अपना नाम तो नहीं बताऊँगा लेकिन मैं आप सबके साथ अपनी लाइफ का एक ऐसा इन्सिडेंट शेयर करना चाहता हूँ जिसे मैं आज भी याद करके बहुत दुखी होता हूँ।
आपको मेरी स्टोरी के अंत में पता चलेगा कि मैं दुखी क्यों होता हूँ।

पिछले 3-4 सालों से मस्ताराम.नेट पर हिन्दी सेक्स कहानी पढ़ पढ़ कर ख़ास तौर से ‘रिश्तों में चुदाई’ ने मुझे अपना ये वाकिया लिखने को मजबूर कर दिया।
मैंने कई बार सोचा कि इसे इस साइट पर शेयर करूँ.. पर अपराधबोध जैसा महसूस होने के कारण मैं इसे लिख नहीं पाया।
हालांकि मुझे तो नहीं लगता कि मैंने जितनी कहानियां पढ़ी हैं, उनमें से कोई सच्ची भी होगी या नहीं..
पर तब भी आज मैंने तय किया और इस घटना को लिख दिया।

दोस्तो मेरी उम्र इस वक़्त 21 साल की है, मैं शिमला का रहने वाला हूँ।

मेरी एक चचेरी बहन है.. जो मुझसे से 2 साल बड़ी है। वो मेरे ताऊ-ताई की बेटी है।

ये बात आज से तकरीबन एक साल पहले की है, मुझे तारीख ठीक से याद नहीं है.. पर मैं अपनी छुट्टियों में अपने ताऊ-ताई के घर पर गया था।
उनके 2 बच्चे हैं.. एक बेटा जो मुझसे 4 साल बड़ा है और बेटी जो कि मुझसे 2 साल बड़ी है।

वो देखने में इतनी क़यामत तो नहीं है.. लेकिन इतनी ज़रूर है कि कोई उसे एक बार देख ले तो रात को उसे याद करके एक बार मुठ तो ज़रूर मारेगा ही।

मतलब अगर मैं उसे नम्बर देने के लिए सोचूँ तो 10 में से दस नम्बर ही दूँ.. वैसे 8.5 तो बनते ही हैं।

तो जैसे कि मैं बता रहा था कि मैं अपनी छुट्टियों में उसके घर पर था, रात को मैं और मेरी बहन एक साथ सोते थे।

मेरे दिमाग़ में उसके लिए ऐसे तो कोई गलत भावना कभी भी नहीं आई थी.. लेकिन उस वक्त स्थिति कुछ ऐसी थी कि ना चाहते हुए भी मैं अपने आपको रोक नहीं पाया।

काफ़ी दिन उनके घर रहने के बाद एक रात हम दोनों किसी विषय पर बातें कर रहे थे।

कुछ दर बाद जब हम सोने जा रहे थे, तो उसने कहा- मैं जब सोने जाती हूँ तो मुझे एकदम से इतनी गहरी नींद आ जाती है कि अगर उस वक्त कोई मुझे हिलाए भी तो मुझे पता नहीं चलता।
मैंने कहा- ऐसा नहीं हो सकता है।

उसने कहा- यकीन नहीं होता तो मेरे सोने के 2 मिनट बाद ही मुझे कुछ भी करके देख लेना.. मुझे पता ही नहीं चलेगा।
मुझे लगा ये सच बोल रही होगी.. तो मैंने सोचा कि मैं इसे गुदगुदी करूँगा।

पर जैसे ही मेरे दिमाग में ये ख्याल आया, उसने एकदम से कहा- गुदगुदी नहीं करना..

फिर उसने आँखें बंद कर लीं और मैं सोचने लगा कि मैं क्या करूँ।

कुछ देर बाद उसने करवट ली तो उसकी पीठ मेरी तरफ हो गई।
उसकी कमीज़ इतनी ऊपर हो गई कि मैं उसके दूधिया जिस्म को आराम से देख सकूं।

मुझे नहीं पता.. यह उसने जानबूझ कर किया था या ग़लती से हो गया, पर मेरा तो दिमाग़ खराब हो गया।

फिर मैंने ज़्यादा नहीं सोचा और अपना हाथ उसकी कमीज़ में डालते हुए उसके पूरे पेट पर हाथ फेरने लगा.. फिर उसकी नाभि पर हाथ फेरा।  मैंने ये सब 2-3 बार किया और थोड़ा सा ऊपर होकर मैंने उसके गाल पर किस कर दिया।
ये सब करके मज़ा बहुत आया।

फिर मैं करवट बदल कर सोने की कोशिश करने लगा।
और मैं ये सब याद ही कर रहा था कि उसने अचानक से मेरा नाम लिया, मेरी फट कर हाथ में आ गई।

उसने बोला- मैंने तुझसे झूठ कहा था कि मुझे एकदम से नींद आ जाती है।
इतना बोल कर वो चुप हो गई।

मेरी इतनी बुरी तरह फटी पड़ी थी कि मैं पूरी रात वैसा का वैसा ही लेटा रहा।
सुबह हुई तो उसने ही मुझे उठाया। मस्ताराम.नेट

मेरी तो हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि मैं उसकी तरफ देखूँ भी.. मुझे बहुत डर सा लग रहा था कि वो ताऊ या ताई को या मेरे मॉम-डैड को कुछ बोल ना दे।

लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया और 2-3 दिन में मैं भी उसके साथ नॉर्मली बिहेव करने लगा।

जहाँ तक मुझे याद है 15-20 दिन बाद हम अपने गाँव गए। मैं ताई के साथ ही था और गाँव में हम सभी रिश्तेदार इकट्ठे हुए थे.. शायद कोई त्यौहार था और उसी में किसी की शादी भी थी।

दो-तीन दिन बाद मैं ओर मेरी बहन.. हम दोनों एक साथ एक ही रज़ाई में लेटे हुए टीवी देख रहे थे और उस कमरे में 6-7 लोग और भी थे।

हम सभी एक फिल्म देख रहे थे.. तो उसमें एक गाना आया जो उस टाइम के हिसाब से बहुत सेक्सी था.. पर इतना भी नहीं कि सब न देख सकें।
यह गाना आजकल मेरी जैसे उम्र के लिए तो ठीक ही था।

फिल्म खत्म हुई तो सब सोने लगे।
मैं और मेरी बहन एक साथ उसी बिस्तर पर सो रहे थे।

लाइट्स बंद करने के बाद मेरी बहन ने मुझसे बात करनी शुरू की।
मैं उससे नॉर्मली बात कर रहा था और पिछले वाकिये को मैं बिल्कुल भुला चुका था।

बातें करते-करते उसने मुझसे पूछ लिया- तुझे फिल्म कैसी लगी?
मैंने कहा- अच्छी थी।
फिर उसने उसी गाने के बारे में पूछा.. तो मैंने कहा- वो भी अच्छा था।

वो गाना कौन सा था मुझे अभी याद नहीं आ रहा है पर उस गाने में एक छोटा सा सीन याद है कि उसमे हीरो हिरोइन की नाभि से लेकर उसके मुँह तक टच करता हुआ जा रहा था.. वो भी होंठों से। उसने स्मूच नहीं किया था पर बंदी के मम्मों को होंठों से टच करता हुआ सीन दिखाया गया था।

फिर बहन ने बोला- जो हीरो उस गाने में हिरोइन के साथ कर रहा था.. वो मेरे साथ कर।

मेरी फिर फट गई.. मैं कर भी क्या सकता था.. चुपचाप पड़ा रहा।

उसने फिर मुझसे वैसा करने को बोला।

मैं फिर भी पड़ा रहा, मैंने जब कोई रिस्पोन्स नहीं दिया.. तो वो बोली- कर मेरे साथ.. जो गाने में हो रहा था.. नहीं तो मैं मामी-पापा को बता दूँगी कि तूने मेरे साथ घर पर क्या किया था। मस्ताराम.नेट

मेरी तो जान हलक में आ गई।

मेरी हिम्मत की और नीचे को हुआ।

अब मैं उसकी नाभि के पास पहुँच गया और फिर ऊपर आने लगा.. पर उसे टच नहीं किया और जब उसके मम्मों के पास पहुँचा.. तो एकदम से ऊपर आकर बोला- मुझे याद नहीं है कि फिल्म में क्या हुआ था और क्या नहीं।

सेक्सी रांड को आप जैसा सांड चाहिए – 1

थोड़ी देर तक वो चुप रही ओर फिर बिना कुछ बोले सो गई। सुबह सब नॉर्मल था और मैं उस घटना को भूल गया।
इस घटना को काफ़ी टाइम हो गया है पर इसकी याद बहुत आती है।

पहले तो जब कभी याद आती थी तो बहुत ही ज़्यादा अपराध बोध होता था।
पर अब जब मैं सोचता हूँ तो यही दिमाग़ में आता है कि अगर उस रात हिम्मत की होती तो आज मैंने उसके साथ कितने मज़े किए होते।

यह घटना मुझे तब बहुत याद आई, जब उसके बड़े भाई यानि मेरा चचेरे भाई की शादी हुई।

उस शादी में उसने डीप नेक वाला कुरता और लहंगा पहन रखा था।
जब वो तैयार हो रही थी तो मुझे उसकी क्लीवेज भी दिखी थी। अब मैं सिर्फ़ उसे याद करके मुठ ही मार सकता हूँ।

तो फ्रेंड्स कैसी लगी यह स्टोरी.. इसमें वो सब नहीं था जो आप सब चाहते थे पर ये एक सच्ची घटना थी।
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Thursday 13 October 2016

आंटी ने फसा कर अपनी चूत और अंकल की गांड मरवाई

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Tuesday 11 October 2016

मेरी चुदासी पड़ोसन भाभी को चोद कर फुला दिया

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तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा और लम्बा है



मेरा नाम प्रेम है, मैं गुजरात में भरूच के एक गाँव से हूँ। मुझे मस्ताराम की हिंदी सेक्स कहानी बहुत अच्छी लगती हैं। कई सेक्स कहानियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं।  मुझे पहले तो यह लगा कि लोग झूठी सेक्स कहानी लिख कर मस्ताराम पर प्रकाशित होने के लिए दे देते हैं.. पर जब से एक ऐसा ही हादसा मेरे साथ हुआ है.. तब से मैं मान गया कि कोई ऐसे ही लिखेगा, उसे क्या मिलता होगा।  मुझे आज ये सारी कहानियाँ सही लगती हैं। यह मेरी
पहली कहानी है जो मैं आप सबको सुनाने जा रहा हूँ और मेरा पहला अनुभव भी है।  मैं 22 साल का हूँ। मेरा लंड खीरे जैसा लंबा मोटा है। मुझे लगता था कि ऐसा सभी का होता होगा.. पर बाद में मुझे मालूम हुआ कि मेरा लौड़ा कुछ असामान्य नाप का है।  आरम्भ में मेरी कभी सेक्स में रूचि ना थी.. लेकिन मेरे एक दोस्त ने जबसे मुझे ब्लू-फिल्म दिखाई.. तब से मेरी कोशिश रहती थी कि कोई ऐसा मिले, जिसके साथ मैं सेक्स कर सकूँ। लेकिन अब तक कुछ नहीं उखाड़ पाया।  मेरी यह सेक्स घटना अभी 4-5 महीने पहले की ही है, जब मेरे एग्जाम खत्म हो गए थे।  दोस्त की मस्त बीवी मेरा एक दोस्त है.. उसके घर में मैं टीवी देखने जाया करता हूँ। दोस्त की शादी के अभी दो साल ही हुए थे, उसकी बीवी बहुत मस्त है.. वो देखने में किसी मॉडल जैसी लगती है।  शुरू-शुरू में मैं उससे बात नहीं करता था।  मैं जब भी टीवी देखने के लिए जाता था तब वो वहाँ होती थी और फिर एक बार उससे बातचीत की शुरुआत हुई।  कुछ ही समय में मैं उससे काफी खुल गया।  एक दिन मैंने भाभी को रोमांटिक मैसेज भेजा, तो वो भी इस तरह के मैसेज मुझे भेजने लगी। फिर हम दोनों रोज ही मैसेज पर बात करने लगे।  एक दिन मैंने भाभी से पूछ ही लिया- क्या आप हम से लव करती हो? तो उसने झट से जवाब दे दिया- हाँ मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। लेकिन मैंने समझाया- आप मेरे दोस्त की बीवी हो.. तो मैं आपसे प्यार क्यों करूँ।  दरअसल उसका प्रेम मेरे प्रति इसलिए भी जाग गया था क्योंकि उसका पति उसके साथ रोमांस जैसा कुछ भी नहीं करता था।  हालांकि उनका एक बच्चा भी है.. जो अभी एक साल का ही है। शायद उसके पति ने बच्चा पैदा करने के बाद से उसको चोदना छोड़ दिया था। इसी कारण हम दोनों प्यार में पड़ गए। अब तो फ़ोन सेक्स, सेक्स चैट भी करने लगे।  एक दिन उसने मुझे मिलने के लिए बुलाया।  मैं उसके घर गया, वो घर पर अकेली थी। मेरे वहाँ पर पहुँचते ही उसने मुझे चूम लिया और हमारे बीच चूमा-चाटी होने लगी।  मैं भी कहाँ रुकने वाला था, मैं तो भाभी पर एकदम से टूट पड़ा।  फिर मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया, मुझे उसका गोरा सीना बहुत भा गया तो उसके बाद ही मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी।  जैसे ही मैंने ब्रा खोली तो उसके मम्मे उछल कर बाहर आ गए। मैं भरे हुए चूचे देखकर उनको जोरों से दबाने लगा। कितने दिनों के बाद मुझे उसके पूरे के पूरे मम्मे देखने को और दबाने को मिले।  फिर मैंने उसके चूचुकों को मुँह में ले लिया और चूसने लगा। वो ‘आआह्ह.. ह्हह्ह..’ कर रही थी।  मैं उसके दूध को चूसता ही रहा। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी साड़ी हटा कर उसको सिर्फ पैन्टी में ला दिया। उसकी चूत बहुत गरम हो गई थी.. जिस कारण उसकी पैन्टी गीली हो चुकी थी। मैं उसकी पैन्टी को उतारकर उसकी चूत को फैला कर चाटने लगा। वो मादक सिसकारी भर रही थी- अहाआआ.. अस्स.. शह्हह्हस.. ऐसा तो तेरा दोस्त भी नहीं करता है।  उसे और मुझे भी बहुत मजा आ रहा था क्योंकि मैंने चूत पहली बार देखी थी। वो पूरी नंगी थी।  पहली बार ऐसी नंगी लड़की को देख कर मेरा लंड जो सो रहा था.. वो लोहे जैसा कड़ा हो चुका था। उसने मुझे भी नंगा कर दिया।  मेरा लंड देखते ही वो बोली- इतना लम्बा तो तेरे दोस्त का भी नहीं है। मुझे तेरे लंड से चुदवाने में मजा आएगा।  मेरा लंड उसके हाथों में आते ही झटके मारने लगा। वो बहुत कड़ा हो चुका था।  उसने कहा- तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा और लम्बा है।  इसी बीच मैंने गरम होकर उसके निप्पल को काट लिया.. तो वो बहुत जोर से चिल्लाई और कहने लगी- जानू जल्दी करो ना.. अब सहा नहीं जा रहा है।  फिर मैंने लौड़ा हिलाया और उसकी चूत पर निशाना लगाया, अपनी तोप को छेद पर रख कर धक्का लगा दिया।  मेरा लौड़ा जैसे ही चूत की दरार में घुसा.. तो वो एकदम से चिल्लाई। मैंने ध्यान न देकर जोरदार धक्का लगाते हुए पूरा का पूरा लौड़ा चूत में ठेल दिया।  वो दर्द से तड़फ उठी।  कुछ पल बाद लौड़े ने चूत में अपनी जगह बना ली।  अब उसे मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मुझे तो पसीना आ गया था।  मैं उसके मम्मों को दबाए जा रहा था। कई मिनट तक ऐसे ही मैंने उसको चोदा। तब तक वो दो बार झड़ चुकी थी, पर मेरा पानी अभी भी नहीं निकला था।  अब मैंने अपनी गति और बढ़ा दी और फुल स्पीड से चोदना शुरू कर दिया।  कुछ ही देर के बाद मैंने कहा- मेरा पानी निकलने वाला है, बोलो कहाँ निकालूँ? वो बोली- मेरी चूत में ही अपना पानी छोड़ दो।  मैंने उसकी चूत में पानी छोड़ दिया। फिर उसको मैं अपनी बाँहों में लेकर सोफ़े पर लेट गया।  थोड़ी देर बाद वो उठी और चूत से मेरा लंड निकाल कर उसको चूसने लगी।  बाद में वो मुझे बाथरूम में ले गई और मेरे लंड को साबुन से साफ़ किया।  उसने मुझे पूछा- मजा आया। मैंने कहा- बहुत मजा आया..  तभी वो बोली- तुम्हारा लंड तो अभी भी खड़ा है.. क्यूँ..? मैंने कहा- ये अभी भी भूखा लगता है। उसने कहा- तो फिर चलो शुरू हो जाओ।  मैं यह सुनकर तो खुशी के मारे उछल पड़ा, फिर से चुदाई शुरू हो गई।  इसके बाद तो जैसे चुदाई का सिलसिला निकल पड़ा और मैंने भाभी को न जाने कितनी बार चोदा और आज भी चोदता हूँ।  बस दोस्तो.. यही कहानी है मेरी.. आपको यकीन आए या ना आए पर है एकदम सच्ची। आपके विचारों का स्वागत है। मेरी सेक्स कहानी कैसी लगी.. बताना जरूर।  भाभी के बाद मैंने न जाने कितनी और भाभी और लड़कियों को चोदा। सच में चूत चोदने में जो मजा आता है वो किसी चीज में नहीं आता है। मेरी और भी मजेदार कहानियां पढने के लिए आप यह क्लिक कर सकते है |
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